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1605 के करीब, भारत में तंबाकू की खेती पुर्तगालियों ने शुरू की थी। और आज तंबाकू की कंजप्शन और प्रोडक्शन के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। और इससे होने वाली बीमारियों की वजह से देश में हर साल लगभग 1.35 मिलियन लोग मरते हैं। तंबाकू के इतिहास की बात करें, तो यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है। अनुमान लगाया जाता है कि 5000-3000 ईसा पूर्व में, पहली बार इसकी खेती की गई थी। यह भी कहा जाता है कि एशिया में तम्बाकू 12वीं शताब्दी में भी मौजूद था, हालांकि इसके भी पक्के सबूत नहीं है। यह वो समय था, जब तंबाकू का उपयोग बीमारियों को ठीक करने और पूजा-पाठ के लिए किया जाता था। हम आपको बता दें कि साल 1492 में, क्रिस्टोफर कोलंबस, जब अमेरिका की यात्रा पर थे, तब उन्हें पहली बार पता चला था कि तंबाकू से नशा भी होता है। और यह भी उन्हें बाय मिस्टेक पता चला था। जब कोलंबस, टोबैगो आइलैंड पर उतरे, तब उन्होंने देखा कि वहां के स्थानीय लोग तंबाकू के पत्तों को सूंघ रहे थे या फिर धूम्रपान कर रहे थे। तंबाकू को, कोलंबस ने खुद सूंघकर देखा, उन्होंने भी महसूस किया कि इसमें नशा था। इसलिए वो सूखे पत्तों की कुछ मात्रा और बीज, अपने साथ ले गए और इस तरह तम्बाकू यूरोप में भी पहुंच गया।

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जब पुर्तगाली भारत आए, तो 1605 के करीब, उन्होंने पहली बार देश में तंबाकू की खेती शुरू की। फिर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने, इसे एक नकदी फसल के रूप में उगाना शुरू कर दिया। यानी अब, इसकी खेती करके वो पैसा कमाने लगे थे। और देखते ही देखते, 17वीं शताब्दी तक धूम्रपान की आदत कई देशों में फैल गई। भारत भी उनमें से एक था। जैसे-जैसे समय बीतता गया, तम्बाकू की आदतों को समाज ने भी स्वीकार कर लिया। एक दूसरे की देखा देखी, अपने आइडल आइकन से इन्फ्लुएंस, वजह चाहे कोई भी हो, लेकिन हमारे युवाओं में स्मोकिंग, सबसे फैशनेबल चीज बन चुकी है। उन प्रोडक्ट पर चेतावनी और यह जानते हुए भी, कि तंबाकू से कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है, लोग गर्व से, तंबाकू का सेवन करते हैं। साल 1943 के बाद तम्बाकू पर Excise duty लगाई गई थी। इसके पीछे सरकार का मकसद, लोगों में इस खतरनाक पदार्थ की कंजप्शन को कम करना था।

ऐसा नहीं है कि अभी कुछ सालों से तंबाकू का प्रयोग होने लगा है, बल्कि यह सिलसिला हजारों सालों से चला आ रहा है। अब से कुछ दशक पहले लोग, चिलम, से धूम्रपान करते थे, तंबाकू चबाते भी थे। फिर हुक्के का आविष्कार हुआ, तब यह कहा गया कि पानी से फिल्टर होने के बाद वो, कम नुकसान करेगा। हालांकि विज्ञान ने इस तथ्य को बिलकुल गलत साबित कर दिया। धीरे, धीरे बीड़ी और फिर फिल्टर्ड सिगरेट का ट्रेंड आया। तंबाकू के तमाम प्रोडक्ट चाहे फिल्टर्ड हों या फिर कम निकोटिन वाले, वो सेहत के लिए हानिकारक हैं। इसलिए पूरे देश में तंबाकू से बनने वाले सिगरेट, बीड़ी और गुटखा जैसे नशीले पदार्थों को पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए। आज भारत में 0.4 मिलियन हेक्टेयर भूमि में तम्बाकू उगाया जाता है। भारत में कुल जितनी खेती की जाती है, यह उसका 0.2% है। मेडिकल सेक्टर या रिसर्च में, जितनी जरूरत हो, उसके अनुसार ही इसकी प्रोडक्शन होनी चाहिए। और जिस तरह सरकारी संगठन, दूसरे हानिकारक केमिकल की प्रोडक्शन और कंजप्शन का रिकॉर्ड रखते हैं, वैसे ही इसका भी रखा जाए। ताकि लोग नशे के लिए इसका प्रयोग न कर सकें। जिन लोगों की आजीविका, तंबाकू की खेती पर टिकी है, सरकार उन्हें, नोडल मंत्रालयों के साथ मिलकर, दूसरी वैकल्पिक फसलों और आजीविका के लिए ट्रेनिंग दे, ताकि वो इसकी खेती छोड़ कर बेरोजगार न हों। देश में तंबाकू से जितना रेवेन्यू जनरेट होता है, उससे कई ज्यादा तंबाकू से होने वाली बीमारियों, के उपचार में, खर्च होता है। चाहे फिर वो सरकारी खर्च हो या फिर लोग अपनी जेब से खर्च कर रहे हों। इसलिए, सरकार को, तंबाकू से बनने वाले हर नशीले पदार्थों को बैन कर देना चाहिए। द रेवोल्यूशन-देशभक्त हिंदुस्तानी के साथ मिलकर, आइए, हम अपने लिए और अपने आसपास के लोगों के लिए एक सुरक्षित विकल्प चुनें।